Thursday, 28 February 2019

युद्धारंभ समझ लेना !

युद्धारंभ समझ लेना !
•••••••••••••••••••••••
युद्धारंभ के प्रथम  
चरण की इस उपलब्धियों  
को, तुम अभी परिणाम 
ना समझ लेना ;

जय मिलेगी विजय  
मिलेगी पूर्णतः, तब 
तक तुम विश्राम न लेना ;

तुमने वायु प्रहार किया है,  
अराजकता की छाती पर
लेकिन, जन मानस की छाती पर
देखो, अब आँच ना आने देना ;

युद्धारंभ है हम तेरे साथ है,
जब तक आतंक का सम्पूर्ण 
नाश ना हो, तुम याद रखना, 
अब ये युद्ध ना थमने देना ;

युद्धारंभ के प्रथम  
चरण की इस उप्लभ्धि 
को, तुम अभी परिणाम 
ना समझ लेना !

Wednesday, 27 February 2019

प्रतिरोध -1

प्रतिरोध -1 
••••••••••••
अपने हौंसले-ए-बारूद से, 
आतंकियों को नेस्तोनाबूत कर देंगे;
वतन के हर एक कदम से,
कदम मिलाकर हम अपनी, 
जान उस पर निसार कर देंगे;
अस्तित्व तक मिटा देंगे,
अपने हौंसले-ए-जान से,
हम उस देश के फौजी है,
जो अपने जिगर-ए-फौलाद से,
दुश्मन का नाम-ओ-निशान मिटा देंगे !       

Monday, 25 February 2019

उसे भी आर्यावर्त कर देना है !

उसे भी आर्यावर्त कर देना है  !
••••••••••••••••••••••••••••••••  
याद रख ए हिन्दुस्तान   
तुझे वो वीर जवान जयमाल 
सिंह, नसीर अहमद,सुखविंदर 
सिंह और रोहिताश लम्बा का 
चुन-चुन कर बदला लेना है;  

शेष नाग को मर्दन करने 
वाला कान्हा बन तुम्हे अब 
उस ना-पाक को दिखाना है;

याद रख ए हिन्दुस्तान   
तुझे वो वीर जवान तिलकराज,  
भगीरथ सिंह ,वीरेंदर सिंह और  
अवधेश कुमार का चुन-चुन कर 
बदला लेना है;  

आज फिर तुम्हे उस ना-पाक 
माथे पर जय हिन्द लिख कर 
उसे भी अब पाक कर देना है;  

इस होली को अपनी पिचकारी 
में तुम्हे देशप्रेम का बारूद ही 
भरना है;

याद रख ए हिन्दुस्तान   
तुझे वो वीर जवान नितिन सिंह,  
रतन कुमार , सुरेंद्र यादव और  
संजय कुमार सिंह का चुन-चुन 
कर बदला लेना है;  

एक एक दुश्मन के सीने पर 
गिन-गिन कर बयालिस गोली 
दागनी है;

याद रख ए हिन्दुस्तान   
तुझे वो वीर जवान राम वकील,  
धरम चंद्रा , बेलकर ढाका और  
श्याम बाबू का चुन-चुन 
कर बदला लेना है;  

देश के एक सौ पैंतीस करोड़ 
बाजू फड़क रहे है उन्हें तो अब 
एक-एक ना-पाक का सर अपने  
पैरों तले कुचलना है;

याद रख ए हिन्दुस्तान   
तुझे वो वीर जवान अजीत कुमार,  
प्रदीप सिंह , संजय राजपूत और  
कौशल कुमार रावत का चुन-चुन 
कर बदला लेना है;  

सीमाओँ को हिमालय सा ही 
अभेद कर देना है जिसके आगे 
दुनिया हो नतमस्तक ऐसा इसे 
बुलंद कर देना है;

याद रख ए हिन्दुस्तान   
तुझे वो वीर जवान  जीत राम ,  
अमित कुमार  , विजय कुमार और  
कुलविंदर सिंह का चुन-चुन कर 
बदला लेना है;  

माँ की चुनर को कहीं दाग ना 
लगे इसलिए एक-एक आस्तीन 
के साँपों के फन को अब कुचल कर 
उनके बचे बीज का भी अस्तित्व मिटा 
कर ही दम लेना है ;

याद रख ए हिन्दुस्तान   
तुझे वो वीर जवान विजय सौरंंग ,  
बसंत कुमार , गुरु एच और सुभम 
अनिरंग का चुन-चुन कर बदला लेना है;  

कश्मीर की केसर का रंग अब 
हर माथे पर रंगना है और इस देश 
का तिरंगा अब लाहौर में फहराना है;

याद रख ए हिन्दुस्तान   
तुझे वो वीर जवान अमर कुमार,  
अजय कुमार , मनिंदर सिंह और 
रमेश यादव का चुन-चुन कर 
बदला लेना है;  

देश प्रेम की आग में अब उस 
ना-पाक को जलाकर उसके 
मातम में बन्दे मातरम गाना है;

याद रख ए हिन्दुस्तान   
तुझे वो वीर जवान परशाना कुमार,  
हेम राज मीणा , बबला शंत्रा और 
अश्वनी कुमार  के साथ साथ प्रदीप 
कुमार, का चुन-चुन कर बदला लेना है;  

माँ के दूध के एक एक बून्द का 
क़र्ज़ ले कर माथे पर जन्नत भी 
नहीं जाना है;

याद रख ए हिन्दुस्तान   
तुझे वो वीर जवान सुधीर कुमार,  
रविंद्र सिंह , एम वाशूमातारे और 
महेश कुमार  के साथ साथ एल 
एल गुलज़ार , का चुन-चुन कर 
बदला लेना है;  

आज फिर तुम्हे उस ना-पाक माथे 
पर जय हिन्द लिख कर के उसे भी 
आर्यावर्त कर देना है !

Sunday, 24 February 2019

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !
•••••••••••••••••••••••  
हर एक जुबां पर आज ,
भारत माता की जय का 
ही नारा है;

देख पैंतालिस जवानों  
की शहादत को, एक सौ 
पैंतीस करोड़ देशवासियों 
का ख़ून खौल गया है;

हर एक आंखों में बेतरतीब 
अश्रु और हर एक सीने में 
लहू दौड़ गया है...

शेरों को धोखे से मारा ,
जिन ना-पाक भेड़ियों ने,
उन्हें नेस्तोनाबूत कर के ही,
अब चैन ओ आराम लेना है...

यही कसम आज हर एक 
जवान के साथ-साथ, भारत 
में मौजूद हर एक शुर वीर 
ने खायी है; 

हर एक जुबां पर आज ,
भारत माता की जय का 
ही नारा है !

Friday, 22 February 2019

माँ तुझे सलाम !

माँ तुझे सलाम !
•••••••••••••••••• 
माँ तू मिटटी है, 
तुझ में मिलकर 
तुझे सलाम किया है;  

ख़ुशबू बन कर तेरे 
ही दिल में सिमटकर, 
तुझे सलाम किया है;  

मैं बेटा हूँ तेरा मेरे,  
रहते कोई कैसे तुझे, 
यूँ रौंद कर जा सकता है;   

सामने आने का हौंसला 
नहीं जिनका, वो क्या तेरे 
बेटा का सामना करेंगे;

माँ तेरी पलकों की 
चिलमनों में सिमट 
कर, तुझे सलाम किया है;  

इंद्रधनुष के रंग मयस्सर 
हुए है, मुझे तेरी गोद में 
तभी तो इसमें सिमटकर 
तुझे सलाम किया है;  

जन्नत में मुझ को मेरा 
मक़ाम देना माँ, तभी तो 
तेरी ज़मीं में समां कर 
तुझे सलाम किया है !

Thursday, 21 February 2019

वक़्त करता है इंतज़ार !

वक़्त करता है इंतज़ार !
••••••••••••••••••••••••••
हाँ देखा है मैंने वक़्त को, 
मोहब्बत का इंतज़ार करते हुए; 

और कभी कभी जब उसे लगता है, 
मोहब्बत बहुत पीछे रह गयी है;

तो भी वो उसका साथ पाने के लिए, 
उसका इंतज़ार भी करता है;

मोहब्बत वक़्त की नियति तो  
नहीं बदल सकती, लेकिन अगर 
उसके भाग्य में ना भी लिखा हो;
   
इश्क़ का साथ पाना; तो भी वो 
कोशिश तो करती है बदलना, 
लिखा नियति के लिखे भाग्य को;

लेकिन जब मोहब्बत नहीं समझती, 
उस वक़्त की नज़ाकत को तब;

मोहब्बत पीछे छूट जाती है, और 
वक़्त आगे निकल जाता है; 

फिर इसी ज़िन्दगी की भाग दौड़ 
में, उनके हाथ खाली रह जाते है; 

जो नहीं चल सकते वक़्त के साथ 
कदम से कदम मिलाकर !

Wednesday, 20 February 2019

ना-पाक कृतघ्न बहुत है !

ना-पाक कृतघ्न बहुत है !
•••••••••••••••••••••••••••
एक भारत है, 
जो सहनशील बहुत है;
और एक ना-पाक है, 
जो कायर बहुत है; 

एक भारत है, 
जो क्षमाशील बहुत है;
और एक ना-पाक है, 
जो कृतघ्न बहुत है;
  
एक भारत है, 
जो आज सोचता बहुत है;
और एक ना-पाक है, 
जो बोलता बहुत है;

एक भारत है, 
जो सबल बहुत है;
और एक ना-पाक है, 
जो डरपोक बहुत है;

एक भारत है, 
जो दानवीर बहुत है;
और एक ना-पाक है, 
जो मांगता बहुत है;

एक भारत है, 
जो शांति पसंद है;
और एक ना-पाक है, 
जो अशांति पसंद बहुत है;

एक भारत है, 
जो प्रगतिशील है;
एक ना-पाक है,
जो दूसरे देश के 
हाथो में बंधक पड़ा है;

एक भारत है, 
जो दुनिया के लिए 
एक मिशाल है;
और एक ना-पाक है;
जो दुनिया लिए 
बदनुमा दाग है;

एक भारत है, 
जो एशिया का बागवां है;
और एक ना-पाक है,
दोस्ती के दामन में भी,  
बस कहर रखता है;

एक भारत है, 
जो हर दाग मिटाने 
में माहिर है;
और एक ना-पाक है,
जो एक और नया दाग 
                लेने को तैयार है !                 

Tuesday, 19 February 2019

बोलती तुम्हारी ऑंखें !

बोलती तुम्हारी ऑंखें !
••••••••••••••••••••••••
मैंने सुना है बोलते अक्सर  
तुम्हारी इन आँखों को;

तब भी जब तुम नहीं थी, 
मेरे सामने बस मैं था और
थी, ये बोलती तुम्हारी आँखें;

उसी ने किया था सबसे 
पहले, इकरार मेरे प्रेम का 
वो भी तुमसे बिना पूछे;

और मैंने मान लिया था, 
उसके इकरार को ही प्यार;

मुझे क्या पता था कि तुम 
करोगी मुझे प्यार, यु बर्षों 
इतना परखने के बाद;

हां तुम्हारी आखों में मेरी 
रूह, आज भी ठीक वैसे ही 
मचलती है;

जैसे वो मचली थी, उस पहले 
दिन जब तुम नहीं थी, मैं था 
और थी, तुम्हारी बोलती आँखें;
  
और हाँ मुझे पता है, हर रूह की  
किस्मत में कहा लिखा होता है, 
यु किसी की आँखों में मचलना !

Monday, 18 February 2019

सत्ता में भरी दलदल है !

सत्ता में भरी दलदल है !
•••••••••••••••••••••••••••
वो कहता है , सच में बल है, 
दुनिया कहती हैं ,कितना भोला है;

वक़्त के आगे चल नहीं सकता, 
अपनों के हाथों ही ख़ुद घायल है;

इन सत्ताधारियों से आशा कैसी, 
सत्ताधीशों के दल में भरी दलदल है;

जिनके कमर पर कल तक ओछा पेंट था, 
आज उनके तन पर दस लाख का सूट है;

यहाँ आज कुछ भी नहीं बदलने वाला,
ये प्रश्न आने वाला कल पूछ रहा है;

मुक्ति दूसरों को दे भी तो कैसे, 
गन्दगी से ख़ुद माँगता मुक्ति गंगा जल है;

कोहराम ज़्यादा है , विचार कम है, 
ये दिमागों में कैसी उथल-पुथल है !

Sunday, 17 February 2019

सवा सौ करोड का जज्बा !

सवा सौ करोड का जज्बा !
••••••••••••••••••••••••••••

वतन की खातिर जान दी, 
उसका क्या मलाल है; 

वतन की आन के आगे, 
आज सब कुछ फीका है,

आज सवा सौ करोङ में,
क़ुरबानी का जज्बा जागा है;

वक्त पड़ने पर मैं भी अब,  
कुछ न कुछ कर जाऊंगा;

वतन-ए-अमन की खातिर 
मैं भी अपनी जान गवाऊंगा;

सिखलाऊंगा अपनी औलादों को,
कभी न हारना भेड़ियों की तदादों से;

वतन पर जान देने में ही रहमत है ,
ये सब से प्यारी जन्नत है !

Friday, 15 February 2019

वेदनाओं का समंदर !

वेदनाओं का समंदर !
•••••••••••••••••••••••
तेरे दो बून्द आंसू 
के मेरी वेदनाओं का 
समंदर है;

ये ज्ञात है तुझे और  
तेरा मुस्कुराना मेरी 
सृष्टि का चलना है;

ये भी ज्ञात है तुझे
और मेरे आंगन में 
तुम्हारा होना मेरे 
भाग्य का उदय होना है;

ये भी ज्ञात है तुझे;
और तेरे ह्रदय में
मेरी मौजूदगी ही 
मेरी सम्पूर्णता है;

है ये भी ज्ञात तुझे;
फिर क्यों तुम अब 
भी इतनी दूर हो 
मुझसे अब तक;

ये ज्ञात नहीं है मुझे;
अब तक ...आज इस 
प्रेम के मिलन के दिन  
बतला दो न तुम मुझे !

Wednesday, 13 February 2019

स्निग्ध स्पर्श !

स्निग्ध स्पर्श !
••••••••••••••••
ज़िन्दगी को इतने 
करीब से पहले कभी, 
महसूस नहीं किया 
था मैंने;

जब तुम्हारे होठों के 
स्निग्ध स्पर्श को पाया, 
तो जाना कैसे कोमलता 
कठोरता को एक पल में, 
तरल कर देती है;

जब तुम्हारे होठों के 
स्निग्ध स्पर्श को पाया, 
तो जाना मेरे भाग्य में, 
लिखी सबसे बड़ी उपलब्धि 
हो तुम;

जब तुम्हारे होठों के 
स्निग्ध स्पर्श को पाया, 
तो जाना कैसे कोई शब्द, 
इन होंठो से लगकर सुरीली 
धुन बन जाते है;

जब तुम्हारे होठों के 
स्निग्ध स्पर्श को पाया, 
तो जाना इन्ही होठों से 
निकली पुकार, प्रार्थना बन 
रिझा सकती है, किसी भी 
रुष्ट देव को;
  
जब तुम्हारे होठों के 
स्निग्ध स्पर्श को पाया, 
तो जाना मरने वाला कोई   
अपनी ज़िन्दगी को चाहता  
है कैसे !

Tuesday, 12 February 2019

तुम्हे गले लगाने की !

तुम्हे गले लगाने की !
•••••••••••••••••••••••
चाहत है  ...मेरी, 
तुम्हारी बाँहों की गोलाइयों 
में कैद रहते  हुए, ज़िन्दगी के 
दिए तमाम दर्दो से निज़ाद पाने की;

चाहत है  ...मेरी, 
मौत सी घनी ख़ामोशी को, 
भी तुम्हारे ऊपर लिखी दो, 
चार प्रेम कविता सुनाने की;  

चाहत है  ...मेरी,  
तुम्हारी इन ही बाहों में रह कर,  
उस छोटे से "राम" को फिर से एक 
बार जीने की;

चाहत है  ...मेरी,  
तुम्हे उस माँ के सामने गले 
लगाने की, जिनके लिए तुम 
आज तक नहीं निभा पायी हो, 
अपने वो वादे जो तुमने किये
थे, मुझसे प्रेम कर कर; 

चाहत है  ...मेरी,  
बस चाहत और चाहत पूरी हो 
ये भी तो जरुरी नहीं ना !

Monday, 11 February 2019

आज ..एक वादा करो ! promise day

आज ..एक वादा करो !
••••••••••••••••••••••••
आज  ..एक, 
वादा करो तुम मुझसे,
यु ही सदा तुम अपनी इन,  
आँखों कि गहराई में मेरी पूरी, 
कायनात समाये रखोगी सदा;

आज  ..एक, 
वादा करो तुम मुझसे,  
जब-जब मैं अकेला बैठु 
तुम चुपचाप पीछे से आकर, 
मेरी आँखें बंद कर ऐसे ही पूछोगी,  
सदा मुझसे की बोलो कौन;

आज  ..एक, 
वादा करो तुम मुझसे,
यु ही सदा तुम्हारी बाँहों के 
घेरे में मेरी तन्हाईयाँ खोती रहेंगी 
सदा अपना अस्तित्व;

आज  ..एक, 
वादा करो तुम मुझसे,
की उम्र के उस पड़ाव में, 
भी तुम यु ही मेरी ऊर्जा बनकर, 
बहोगी मेरी रक्त कोशिकाओं में,
जिस उम्र में अक्सर जीवन नीरस, 
सा लगने लगता है;

आज  ..एक, 
वादा करो तुम मुझसे,
की यु ही मेरा सारा दुःख, 
दर्द और गुस्सा कंही गुम होता,  
रहेगा पाकर सदा साथ तुम्हारा;

आज  ..एक, 
वादा करो तुम मुझसे,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों 
में और आकर थोड़ा और करीब 
तुम रहोगी सदा  यु ही मेरे साथ 
मेरे करीब थोड़ा और करीब सदा ! 

आज  ..इस वादे करने के दिन 
ये सब वादे करो तुम कि इन वादों 
का सदा मान रखोगी तुम !

Sunday, 10 February 2019

तुम्हारा टेडी बियर ! Teddy day

तुम्हारा टेडी बियर ! 
•••••••••••••••••••••
हां मैं रहूँगा तुम्हारे 
पास सदा,बनकर  
तुम्हारे टेडी बियर सा;

बन तेरे हर एक 
सुख-दुःख का साथी 
सा, जो दूर करे तेरी 
हर एक उदासी को;
  
तेरे इस तंहा से 
जीवन में वो रंग 
भरे चारों ऋतुओं का;

संग तेरे मैं ही चलु, 
साथ तेरे ही हर पल रहु,
तेरे मन की सारी बातें
चुपचाप मैं ही सुनु; 

सुबह जब ऑंखें खोलो, 
तो मुझे ही सामने पाओ,
रात को जब सोने जाओ, 
बाहों में भर मुझे सो जाओ;

तेरी सारी खुशियाँ,
बन बस एक तेरे ही 
संग, मैं सदा-सदा रहु;

हां मैं रहूँगा तुम्हारे 
पास सदा,बनकर  
तुम्हारे टेडी बियर सा !

Saturday, 9 February 2019

चॉकलेट डे

"चॉकलेट डे"
•••••••••••••
चली आओ तुम 
की तुम्हे तुम्हारे 
लिए ला कर रखी  
वो "डेरी मिल्क" 
बुला रही है;

सुनो तुम उसी  
"डेरी मिल्क" कि  
तरह मुँह में रखते 
ही घुलने वाली;

नाम लेते ही दिल 
को पिघलने वाली 
और गले से उतरते 
ही शरीर के पुरे रक्त 
को मीठा कर देने वाली;

और मुझे उतनी ही 
प्रिय हो सुनो आज 
"चॉकलेट डे" है;
  
चली आओ तुम 
की तुम्हें तुम्हारे 
लिए ला कर रखी  
वो "डेरी मिल्क" 
बुला रही है !

Friday, 8 February 2019

हैप्पी रोज़ डे !


हैप्पी रोज़ डे ! 
•••••••••••••••
आज "रोज़ डे " है, 
तो मेरे दिल ने मुझ 
से बड़े ही अदब से 
फरमाइश की है;

क्यों ना आज फिर 
से तुम्हें गुलाब की 
तरह गुलाबी होते 
देखा जाए;

ठीक वैसे ही जैसे 
पहली बार मेरी ही 
अंगुलियों का स्पर्श
पाकर तुम्हारी देह 
के सारे रोम रोम खड़े 
हो गए थे;

और चेहरे से गुलाबी 
आभा झरने लगी थी 
तो चाहा आज फिर से 
एक बार गुलाब की 
गुलाबी को पा लू;

मैं अगर तुम्हारा गुलाब 
हूँ तो तुम उस गुलाब की 
गुलाबी आभा हो;
   
तो चलो इसी बहाने 
इस "रोज डे " पर 
अपनी गुलाबी आभा 
अपने गुलाब झार दो
ना तुम ! 

Thursday, 7 February 2019

जब मैं लिखता हूँ !

जब मैं लिखता हूँ !
••••••••••••••••••••
जब मैं लिखता हूँ 
तितलिओं के पंख को 
जुगनुओं की रोशनी दे ;

तब तुम्हें रातों में मेरे 
पास आने का न्यौता 
देता हूँ ;

ताकि तुम्हारी दी हुई 
हर एक भेंट को मैं अपनी 
अंजुरी में भर तुम्हे वो सब 
अर्पण कर दूँ ;

जब मैं लिखता हूँ 
रूष्ट हो गया हूँ तुमसे;
  
तब मुझे सब कुछ फीका 
पड़ता सा महसूस होता है;

तब तुम भरती हो मुझमे 
अपने वातसल्य का झरना 
और फिर घोल देती हो मिठास 
मुझमे; 

फिर से जीने की और तब 
मैं एक और बार अपने प्यास 
का रिक्त घड़ा लेकर अपने 
हाथों में तुम्हारे सामने खड़ा  
हो जाता हूँ ! 

Wednesday, 6 February 2019

आज विवश हुं मैं !

आज विवश हुं मैं !
•••••••••••••••••••
प्रेम है प्यार है 
दुलार है और है; 

इन सब की  
अनुभूति भी;

लेकिन इन सब 
का भान तो मुझे 
तब होता है ना;
  
जब तुम बिलकुल  
पास होती हो मेरे;

और सच कहु तो 
आज भी विवस ही 
पाता हुं खुद को मैं;

क्योंकि जब तुम 
पास होती हो मेरे;
  
तब ज़ज़्बात मेरे
ही मुझसे संभाले
नहीं जाते है !

Tuesday, 5 February 2019

अमर हो गए शब्द !

अमर हो गए शब्द !
•••••••••••••••••••••
तुम्हारी सांसों ने 
मेरे कहे एक-एक 
शब्द में वो ऊष्मा 
भर दी;

जिस से वो मेरे 
कहे एक-एक शब्द 
कब अमर हो गए 
पता ही ना चला;

वो वही शब्द थे जो 
मुझे अब तक सबसे 
ज्यादा प्रिय थे;

अब मैं उन शब्दों 
को घिस रहा हु अपनी 
दोनों हथेलियों से;

और मैं तब-तक 
घिसता रहूँगा इन्हे 
जब-तक; 

वो शब्द मेरी दाहिनी  
हथेली पर तुम्हारी 
नाम की चमकती 
रेखा बनकर ना 
उभर उठे !       

Monday, 4 February 2019

अपनी आत्मा के बिना !

अपनी आत्मा के बिना !
•••••••••••••••••••••••••
चाहता हू अब कुछ 
पल अपने साथ बैठू 
एक कॉफ़ी हो और;

हम दोनो ढेर सारी 
बाते करे हँसे और 
खिलखिलाये जाने
दूसरे को करीब से;

मै खुद से पूछूँ कि  
इतना गम्भीर क्यों है  
और समझू खुद की भी  
मजबूरियां; 

जिस वजह से खुद मैं 
खुद को ही भुला बैठा था 
अब तक खुद को ये भी
बताऊ किसके लिए मैंने 
ऐसा किया था; 

फिर दोनों मिलकर पूछेंगे 
उस से क्यों छोड़ा है तुमने 
मुझे तंहा दिल चुराने के 
के बाद भी मेरा;  

और झगडूं उससे फिर कह दूं 
उस से कि मुझे अब उसकी कोई 
जरूरत नही है मै भी अब जी सकता 
हू अपनी आत्मा के बिना !

Sunday, 3 February 2019

कड़वा सा उनींदापन !


कड़वा सा उनींदापन !
•••••••••••••••••••••••
एक कड़वा सा उनींदापन 
आ बैठता है बिलकुल मेरे पास; 

ठीक उस वक़्त मेरा दिल 
चाहता है अपने दीये जलना;

फिर उन्ही दीयों की रोशनी में
उसी स्याही को लौटा दू; 

अपनी लिखी सारी प्रेम कवितायेँ
जिस स्याही से वो मैंने लिखे थे;

लेकिन फिर अकेले में मैं जब ये 
देखता हु अपनी देह का कितना
हिस्सा बोया है;

अब तक मैंने उसकी देह में ठीक  
उसी पल मेरा वो कड़वा सा उनींदापन 
चुपचाप उठकर मेरे बगल से चल देता है; 

उस ओर जहा से वो आया था
चलकर मेरे पास पाकर मुझे 
नितांत अकेला !  

Saturday, 2 February 2019

नज़रें देखना चाहती है !


नज़रें देखना चाहती है ! 
•••••••••••••••••••••••••
पहले पहल किसको पता 
होता है क्यों ये आँखें बार 
बार और एक सिर्फ उसको 
ही क्यों देखना चाहती है;

क्यों आँखें सिर्फ एक उसको 
होने देना नहीं चाहती अपनी 
इन नज़रो एक पल को भी 
ओझल है;  

पर यही आदत कब सेंध लगा 
कर बस जाती है दिल में बनकर 
चाहत पता ही नहीं चलता है;  

जब तक की लोग ना पूछने लग 
जाए की तुम्हे हुआ क्या है और 
उस दिन आकर जब वो देखता है;

खुद को दर्पण में तो खुद को 
ही नहीं पहचान पाता है जैसे 
किसी अजनबी ने कब्ज़ा कर 
लिया हो उसके व्यक्तित्व पर;  

उसके उस चेहरे पर और वो  
चेहरा तो उस चेहरे जैसा है 
जिसको मेरी ऑंखें बार बार 
देखना चाहती है !

Friday, 1 February 2019

बात को बस बात ही रहने दो !

बात को बस बात ही रहने दो !
••••••••••••••••••••••••••••••••
बात को बस बात ही रहने दो,
तुम खुद को मेरे पास ही रहने दो;
आज बातों को राज ही रहने दो,
आज रात बिन बात के बीतने दो;

लफ़्ज़ों को ख़ामोश ही रहने दो,
बहुत लम्बी है मेरे दिल की बातें; 
सारी बातों को अंदर ही रहने दो,  
बात को बस बात ही रहने दो;

आज जुबां को विराम देने दो, 
लफ़्ज़ों को कुछ आराम करने दो; 
आज चारों भीगी आँखें को रहने दो,
बात को बस बात ही रहने दो;

दर्द को सारे मेरे नाम रहने दो,  
खुद को मेरे सीने से लगी रहने दो;
जुल्फों को यूँ ही हवाओं में लहराने दो,
बात को बस बात ही रहने दो;

इस खामोश मिलन की रात को,  
आज यु बाग़ ए गुलज़ार होने दो;
रखो मेरे लबों पर अपने लबों को, 
और बात को बस बात ही रहने दो;

सुनो दिल में मेरे तुम्हारी वही वो,
पुरानी तस्वीर ही बसी रहने दो;
दोनो के बीच की दुरी को मिटने दो,
बाकी बात को बस बात ही रहने दो !
         

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !