Wednesday, 28 February 2018

ज़िन्दगी की पाठशाला

कुछ लोग तो यु ही 
पा लेते है दाखिला 
ज़िन्दगी की पाठशाला में
जैसे करनी होती है पूरी 
एक औपचारिकता
और तो और इनायत 
देखो ज़िन्दगी की उनपर
उन्हें मिल जाता है अनमोल  
खज़ाना उस ज़िन्दगी का
जो नहीं मिलता उन्हें भी 
कई बार जो पढ़ते है
चारों पहर की नमाज़  
करते है आठों पहर की पूजा 
रखती है सोलह बरसो 
तक सोमवार पर इतना 
जरूर है की वो जो 
पा लेते है दाखिला यु ही 
ज़िन्दगी की पाठशाला में
वो रह जाते है अन-उत्तीर्ण

Monday, 26 February 2018

कितना अच्छा हो



लोगो की भीड़ से घिरी 
तुम्हारे पास आने को  
आतुर घबराई सी जड़वत 
वंही खड़ी हु पिछले तकरीबन 
पांच साल से ;सोचती हुई 
की कैसे आ पाउंगी पास तुम्हारे
बिना किसी को बताये 
बिना किसी से रास्ता पूछे
बिना अब और घबराये 
बिना किसी के बहकावे में आये
बिना किसी को दर्द दिए  
लोगो की भीड़ से घिरी 
तुम्हारे पास आने को  
आतुर घबराई सी जड़वत 
वंही खड़ी हु पिछले तकरीबन 
पांच साल से ;सोचती हुई
की ना आने से भी गर तुम
यु ही बने रहो मेरे जीने की वजह 
तो कितना अच्छा हो 

अद्भुद सुख की अनुभूति


सुकोमलता से भरी प्रकृति 
किस प्रकार सृजन की प्रक्रिया से 
गुजरती है इससे शायद ही कोई 
पूरी तरह परिचित हुआ है अब तक 
कुछ ना कुछ तो स्वयं प्रकृति से भी 
छूट ही जाता है जब वो निढाल हुई 
होती है तब वो किस किस 
परिस्थिति से गुजरती है 
शायद उसने भी सृजन के पहले 
इसकी कल्पना नहीं की होती है 
तभी तो वो सब कुछ सहज सह लेती है 
आँख बंद होने की प्रक्रिया से लेकर
सिसकियाँ निकलने तक में और
धीमी गति से लेकर बढ़ती बलगति तक
सुकोमल कसाव से लेकर निर्मम
व कठोर कसाव तक की प्रक्रिया में
भी वो अद्भुद सुख की अनुभूति के
साथ साथ पीड़ा सहकर सृजन करती है
शायद ही कोई महसूस कर सकता है 
की कठोरता को किस प्रकार सुकोमलता 
तरलता में परिवर्तित कर देती है 

Sunday, 25 February 2018

निशा का प्याला

जिस निशा का प्याला
पूरी की पूरी रात कलानिधि
के निचे पड़ा रहने के बाद भी   
हयात के मधु से नहीं 
भर पाता वो निशा ही 
समझ सकती है मधु 
का सही सही अंशदान
कियोकि उस निशा के 
प्याले से उतर चुकी 
होती है कलानिधि की 
कलई भी तो उस प्याले 
में पड़ी उसकी कल्पना 
कितनी कड़वी हो जाती है 
इस कड़वाहट का स्वाद भी 
वो समझ सकता है जो 
उस निशा को तहे दिल से चाहने
का साहस करता है और उसे
ये भी नहीं पता होता कब तक
उसे निशा के प्याले की
कड़वी हुई कल्पना को 
पीते रहना पड़ेगा 

Saturday, 24 February 2018

जिद्दी चाँद


सुनो तुम समझाओ ना 
अपने इस जिद्दी चाँद को 
तुम्हारे लिए कभी 
दूज का तो कभी 
हरतालिका तीज का 
तो कभी करवा चौथ का
और कुछ ना मिले तो 
कभी पूनम का कभी
अमावस का हुआ फिरता है 
मुझे डर है कंही ये घटते 
बढ़ते इस क्रम में बुझ ना जाए 
फिर मत कहना कोई तो मुझे
बतलाता मैं उसे समझाती ना   
सुनो तुम समझाओ ना 
अपने इस जिद्दी चाँद को 

Friday, 23 February 2018

वो जताती रही अफ़सोस

वो जिससे जुड़े थे मेरे 
सारे एहसास वो ही  
उन एहसासो को 
रौंद कर जताती रही अफ़सोस  
और बस इतना चाहती रही मुझसे 
कि मैं वो हर बात समझू 
उसकी जो रह जाती है अनकही
वो जिसने जाना समझा मेरी 
बेइंतेहा चाहत को भली भांति 
वो उसी चाहत को कर दरकिनार 
हर बार बस इतना चाहती रही मुझसे 
कि जब भी कोई गलती हो उससे 
मैं करता रहु उन्हें नज़रअंदाज़ 
वो जिसने खायी मेरी कसमे 
निभाने को अपने सारे वादे 
वो ही तोड़कर उन सारी कसमों को 
चाहती रही मुझसे की मैं ना करू 
परवाह उन टूटती कसमों का 
और चाहता रहू उसे यु ही बेइंतेहा  
वो जिससे जुड़े है अब भी मेरे सारे एहसास
रौंद कर जताती है अफ़सोस अब भी 

Thursday, 22 February 2018

काजल को बहा ले जाने की इज़ाज़त

जब हो जाए तुम्हे प्रेम   
अपने ही प्रतिबिम्ब 
से डरने वाले से  ... 
तो दर्द को भी उस सफ़र  
का साथी बना लेना चाहिये 
जब हो जाए तुम्हे प्रेम
अपनी ही सांसो की 
तेज़ गति से डरने वाले 
से तो आंसुओं को दे देनी 
चाहिए इज़ाज़त काजल 
को बहा ले जाने की 
जब हो जाए तुम्हे प्रेम 
अपनी ही पदचाप की 
आहट से डरने वाले से  
तो वक़्त बे वक़्त घर से 
निकलना छोड़ देना चाहिए
जब हो जाए तुम्हे प्रेम
अपनी ही दहलीज़ को  
पार करने से डरने वाले से 
तो तुम्हे उन्मुक्त गगन 
में उड़ने की लालसा को 
त्याग देना चाहिए 
जब हो जाए तुम्हे प्रेम 

Wednesday, 21 February 2018

सांस लेने को आतुर सपने

खुले आसमान में 
सांस लेने को आतुर   
हमारे सभी सपने  
दिल के पिंजरे में 
बंद है जिसकी चाबी 
तुम्हारे पास है वो 
फड़फड़ाते तो है पर 
पिंजरे से बाहर नहीं 
आ सकते वो ज़ज़्बा 
जो इन सपनो को 
खुला आसमान दे सके
वो पड़ा है तुम्हारी 
दहलीज़ के अंदर 
कब आयो तुम उस 
ज़ज़्बे को लेकर और 
खोलो ताले लगे इस 
पिजरे को ताकि हमारे 
सपनो को मिल सके 
उनके हिस्से का  
खुला आसमान   

Tuesday, 20 February 2018

जब तुम दूर जाती हो

बस कुछ पल के लिए ही 
जब तुम दूर जाती हो 
तब एहसास होता है
की मुझमे कुछ बाकी नहीं रहता
मेरे जीवन के आँगन में 
मेरी खुशियों के दामन में
सिर्फ एक उदासी साथ रहती है   
सारे सपने अधूरे से लगते है 
दिन सदियों से लगते है 
इन आँखों की जलती लौ 
मध्यम सी पड़ने लगती है  
बस कुछ पल के लिए ही 
जब तुम दूर जाती हो
सब कुछ जैसे खाली खाली
सा लगने लगता है 

Monday, 19 February 2018

आरती के स्वर


क्या रोज ही प्रातः  
आरती के स्वर 
तुमसे दुरी बना
कर रहते है या 
तुम बनाती हो
दूरियां उनसे ?
प्रातः की आरती 
में भाव भरो अपने
कहते है भगवान
चीज़ों के नहीं 
भावों के भूखे
होते है ?
तो फिर किन्यु 
नहीं होती तुम्हारी 
प्रार्थना पूरी बोलो?
आज सच सच 
बताओ ना मुझे 
सच में तुम करती हो 
प्रार्थना उन भावों के
साथ जो भाव 
देखता हु अक्सर मैं 
तुम्हारी आँखों में 
हमदोनो के साथ का ?
क्या रोज ही प्रातः  
आरती के स्वर 
तुमसे दुरी बना
कर रहते है या 
तुम बनाती हो
दूरियां उनसे ?

Sunday, 18 February 2018

तेरी बेरुखी


ए ज़िन्दगी 
तंग आ गया हु
तेरे इन नखरों से 
तेरी इस बेरुखी से 
तेरी इन मज़बूरिओं से 
तेरे इन झूठे वादों से 
जी चाहता है अब
इन झंझावातों से 
निकल आउ और 
बहुँ बहते पानी सा,
बहुँ मद्धिम पवन सा
झरझर झरते झरने सा
निश्चिन्त हो 
हल्का हल्का सा 
और एक दिन चुपचाप 
शांत हो जाऊ 
इसी प्रक्रिया में ..
दूर बहुत दूर चला जाऊ 
तेरे इन नखरों से 
तेरी इस बेरुखी से 
तेरी इन मज़बूरिओं से 
तेरे इन झूठे वादों से 
ए ज़िन्दगी 

Friday, 16 February 2018

प्रश्न करती है रूह




कई बार तो 
समंदर मेरी आँखों में
उतर आता है जब 
प्रश्न करती है मुझसे 
मेरी ही रूह 
राम क्या कभी होंगे 
उसके वादे पुरे ?   
फिर भी तुम्हारे 
वादों पर करता हुआ 
इकरार उन्ही के  
बोझ तले दबा 
जा रहा हु मैं अब 
और तुम भी 
नित्य नए वादे 
किये जा रही हो 
पर वादे सारे है 
अब तलक अधूरे
तन्हाईओं में घिरा 
करता हु इन दीवारों 
से अकेले में बात
बातें जिसमे एक सिर्फ
तुम शामिल हो 
कई बार तो 
समंदर मेरी आँखों में
उतर आता है जब 
प्रश्न करती है मुझसे 
मेरी ही रूह 
राम क्या कभी होंगे 
उसके वादे पुरे ?   

मेरे और तुम्हारे दरमियान


मेरे और तुम्हारे दरमियान 
जो ये फासले कायम है
उनको मिटाने की जिम्मेदारी 
तुमने अपने कन्धों पर ले रखी है
कई साल बीते पर फासले कम ना हुए
बल्कि फासले और बढ़ते ही गए 
उम्मीद दिन ब दिन नाउम्मीद 
ही हुई जा रही है इन फासलों को 
पाटने के लिए जो एक सेतु बनाया था 
हम दोनों ने जिस पर चल कर  
हम आते थे एक दूजे के नज़दीक 
और बुनते थे भविष्य के सुनहरे सपने  
वो सपने भी टूट रहे है एक एक कर 
और ये टूटन इस सेतु की नींव को 
कर रही है जर्जर दिन ब दिन और  
उस सेतु से आना जाना भी 
दोनों का लगभग बंद हो चूका है 
ख्याल रखना जिस दिन सेतु टुटा 
बहा ले जाएगा अपने साथ बचे 
टूटे फूटे सपने और उमीदें भी 
फिर कुछ ना बचेगा 
मेरे और तुम्हारे दरमियान

Thursday, 15 February 2018

तेरी वेदना मेरे आंसू

हैपी वेलेंटाइन 💕 डे. . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

मुझमे ही हो तुम ;
मेरे दो बून्द आंसू 
तेरी वेदना का 
समंदर है :
ये ज्ञात है मुझे 
और तेरा मुस्कुराना 
मेरी सृष्टि का चलना 
ये भी ज्ञात है तुझे;
मेरे आंगन में 
तुम्हारा होना 
मेरे भाग्य का उदय 
होना ;तेरे ह्रदय में
मेरा होना ही 
मेरी सम्पूर्णता है 
है ये भी ज्ञात तुझे;
फिर किन्यु तुम 
अब भी इतनी 
दूर हो मुझसे 
अब तक 
ये ज्ञात नहीं मुझे
अब तक ...आज तो 
बतला दो मुझे 

Wednesday, 14 February 2018

तुम अपने राम की श्री बनो

                                                                  💕Valentine Day💕


आज मैं तुमसे ये कहता हु 
तुम अपने राम की श्री बनो
तुम मेरे प्रेम की पर्याय बनो 
तुम मेरी आयु का यौवन बनो 
आज मैं तुमसे ये कहता हु 
तुम मेरे सांसो की स्पर्शन बनो  
तुम मेरी छवि की कान्ति बनो 
तुम मेरे ज़िन्दगी का अर्थ बनो 
तुम मेरे भावो की अभिव्यक्ति बनो 
तुम मेरे अस्तित्व की रक्षिणी बनो 
आज मैं तुमसे ये कहता हु
तुम मेरी रचना की मधुर ध्वनि बनो 
तुम मेरे स्वप्नों की मल्लिका बनो
तुम मेरे अक्षरों की सियाही बनो 
तुम मेरे हृदय की अभिलाषा बनो
आज मैं तुमसे ये कहता हु
तुम मेरे जीवन की विभूति बनो 
तुम मेरे पौरुष का ओज बनो 
तुम मेरे ओष्ठ की अबूझ प्यास बनो  
तुम मेरे अजिरा की तुलसी बनो
आज मैं तुमसे कहता हु   
तुम मेरे नैनों की ज्योत्स्ना बनो 
तुम मेरी अर्जित अकूत सम्पदा बनो 
तुम अपने राम की श्री बनो

Tuesday, 13 February 2018

तुम्हारे होठों का स्निग्ध स्पर्श

                                                                    💕Kiss Day💕
ज़िन्दगी को इतने करीब से पहले 
कभी महसूस नहीं किया था मैंने
जब तुम्हारे होठों के स्निग्ध 
स्पर्श को पाया तो जाना 
मेरे भाग्य में लिखी सबसे 
बड़ी उपलब्धि हो तुम 
जब तुम्हारे होठों के स्निग्ध 
स्पर्श को पाया तो जाना
कैसे कोमलता कठोरता को
एक पल में तरल कर देती है 
जब तुम्हारे होठों के स्निग्ध 
स्पर्श को पाया तो जाना
कैसे कोई शब्द इन होंठो से 
लगकर सुरीली धुन बन जाते है 
जब तुम्हारे होठों के स्निग्ध 
स्पर्श को पाया तो जाना
इन्ही होठों से निकली पुकार 
प्रार्थना बन रिझा सकती 
है किसी भी रुष्ट देव को  
जब तुम्हारे होठों के स्निग्ध 
स्पर्श को पाया तो जाना
मरने वाला कोई  .... ज़िन्दगी को
चाहता  .... है ऐसे  ....   

Monday, 12 February 2018

तुम्हारी बाँहों की गोलाईयाँ

                                                                  💕Hug Day💕
चाहत है  ...
तुम्हारी बाँहों की गोलाइयों 
में सोते हुए ज़िन्दगी के दिए 
तमाम दर्दो से निज़ाद पाने की ।
चाहत है  ...
मौत की घनी ख़ामोशी को भी 
तुम्हारे ऊपर लिखी दो चार प्रेम 
कविता सुनाने की  
चाहत है  ... 
तुम्हारी इन्ही बाहों में सोकर 
उस छोटे से राम को फिर से एक 
बार जीने की ।
चाहत है  ... 
तुम्हे उस माँ के सामने गले लगाने की 
जिनके लिए तुम आज तक नहीं निभा
पायी हो अपने वो वादे जो तुमने किये
थे मुझसे प्रेम कर कर 
चाहत है  ... 
बस चाहत है और चाहत पूरी हो 
ये भी तो जरुरी नहीं ना
चाहत है  ... बस 

Sunday, 11 February 2018

आज ..एक वादा करो

                                                                       💕Promise Day💕
आज  ..एक 
वादा करो तुम मुझसे..
यु ही सदा तुम्हारी आँखों कि गहराई में 

मेरी पूरी कायनात गुम रहेगी सदा
आज  ..एक 
वादा करो तुम मुझसे..  
कभी जब मैं अकेला बैठु तुम चुपचाप पीछे  
से आकर मेरी आँखें बंद कर पूछोगी  की बोलो कौन?
आज  ..एक 
वादा करो तुम मुझसे...
यु ही सदा तुम्हारी बाँहों के घेरे में मेरी 
तनहाइयाँ खोती रहेंगी सदा  , 
आज  ..एक 
वादा करो तुम मुझसे...
की उम्र के उस पड़ाव में भी तुम यु ही मेरी 
ऊर्जा बनकर बहोगी मेरी रक्त कोशिकाओं में
जिस उम्र में अक्सर जीवन नीरस सा लगता है 
आज  ..एक 
वादा करो तुम मुझसे...
की यु ही मेरा सारा दुःख दर्द और गुस्सा 
कंही खोता रहेगा पाकर साथ तुम्हारा
आज  ..एक 
वादा करो तुम मुझसे...
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में और आकर 
थोड़ा करीब तुम रहोगी सदा  यु ही मेरे साथ 
मेरे करीब थोड़ा और करीब 
आज  ..एक 
वादा करो तुम मुझसे...©Sramverma

Friday, 9 February 2018

तेरे सुख दुःख का साथी

💕Happy Teddy Day💕
हां मैं बनकर रहू
तुम्हारे पास सदा
तेरे "टेडी बियर" सा
बन तेरे सुख दुःख का साथी,
दूर करू मैं तेरी उदासी 
तेरे इस तन्हा जीवन में ,
रंग सभी ऋतुओं के भरु 
हां मैं बनकर रहू
तुम्हारे पास सदा
तेरे "टेडी बियर" सा 
संग तेरे मैं ही चलु  ,
साथ तेरे ही हर पल रहु
तेरे मन की सारी बातें,
चुपचाप मैं ही सुनु 
हां मैं बनकर 
रहना चाहता हु 
तुम्हारे पास सदा
"टेडी बियर" सा
सुबह आँख खोलो 
तो मुझे ही सामने पाओ ,
रात को जब सोने जाओ 
बाहों में भर मुझे सो जाओ 
तेरी सारी खुशियाँ,
बन बस एक तेरे संग रहु 
तेरे "टेडी बियर" सा

तुम्हारी "डेरी मिल्क"

💕Chocolate Day💕

चली आओ तुम 
की तुम्हे तुम्हारी 
रखी वो "डेरी मिल्क" 
आज बुला रही है
तुम उसी की तरह
मुँह में रखते ही 
पिघलने वाली   
नाम लेते ही दिल 
में घुलने वाली 
और गले से उतरते ही 
शरीर के पुरे रक्त 
को मीठा कर देने वाली
उतनी ही प्रिये हो 
आज चॉकलेट डे है 
चली आओ तुम 
की तुम्हे तुम्हारी 
रखी वो "डेरी मिल्क" 
पास बुला रही है

Thursday, 8 February 2018

मेरी "हम्म"

                                                                 💕Proposed Day💕

तुम्हारे प्रेम ने उस 
पहले ही दिन मुझे 
विवस कर दिया था 
तुम्हे वो सब कहने को
जिसे कहने में अक्सर 
प्रेमी को लग जाते है 
बर्षो महीनो या कई दिन
उस प्रेम के उफनती लहर
में मैं बहा कुछ इस कदर की 
उस पहले ही दिन मैं ना रह 
पाया तुम्हे कहे बगैर की मैं  
तुम्हे बेइंतेहा मोहोब्बत करता हु 
सर से पाँव तक विस्मित तुम 
मुझे देखती रह गयी थी पर
शायद तुम्हारे दिल ने भी 
मेरे इस प्रस्ताव को स्वीकार
कर लिया था तभी तो तुम 
कुछ देर निरुत्तर सी नजरे 
निचे किये खड़ी रह सिर्फ इतना
कह पायी थी "हम्म" और उसी  
पल मैंने तुम्हारा नाम "हम्म"
रख दिया था   

Wednesday, 7 February 2018

गुलाब की गुलाबी आभा हो तुम

                                                                       💕Rose Day💕
आज "रोज डे " है 
तो दिल ने बड़े ही 
अदब से फरमाइश की 
किन्यु ना आज फिर से 
तुम्हे गुलाबी होते देखा जाए 
ठीक वैसे ही जैसे
पहली बार मेरी  
अंगुलियों का स्पर्श
पाकर तुम्हारी देह के 
सारे रोम रोम खड़े 
हो गए थे और चेहरे से
गुलाबी आभार झरने 
लगी थी तो चाहा आज
फिर से एक बार  
गुलाब की गुलाबी 
को पा लू और मैं अगर
तुम्हारा गुलाब हु तो 
तुम उस गुलाब की 
गुलाबी आभा हो   
तो चलो इसी बहाने 
इस "रोज डे " पर 
अपनी गुलाबी आभा 
मुझपर झार दो 

Monday, 5 February 2018

किसी की आँखों में मचलना


मैंने सुना है बोलते 
तुम्हारी इन आँखों को 
जब तुम नहीं थी मेरे 
सामने बस मैं था और
थी ये बोलती तुम्हारी आँखें
उसी ने किया था सबसे 
पहले इकरार मेरे प्रेम का 
वो भी तुमसे बिना पूछे
और मैंने मान लिया था 
उसके इकरार को ही प्यार
मुझे क्या पता था की तुम 
करोगी मुझे प्यार 
बर्षों परखने के बाद
हां तुम्हारी आखों में
मेरी रूह आज भी 
ठीक वैसे ही मचलती है
जैसे वो मचली थी उस 
पहले दिन जब तुम 
नहीं थी मैं था और थी 
तुम्हारी बोलती आँखें  
और हर रूह के किस्मत 
में कहा लिखा होता है 
यु किसी की आँखों में मचलना 

Sunday, 4 February 2018

वक़्त का हाथ थामे चलती है मोहोब्बत

हा देखा है मैंने
वक़्त को मोहोब्बत का
इंतज़ार करते हुए और
कभी कभी जब उसे लगता है 
मोहोब्बत बहुत पीछे रह गयी है
उससे तो वो उसका साथ पाने के लिए
धीरे धीरे उसके साथ भी चल पड़ता है 
पर मोहोब्बत वक़्त की नियति नहीं 
बदल सकती उसके भाग्य में लिखा है 
चलना तो उसे चलना पड़ता है पर जब
मोहोब्बत नहीं समझती उस वक़्त की 
नज़ाकत को मोहोब्बत पीछे छूट जाती है 
और वक़्त आगे निकल जाता है फिर 
इसी ज़िन्दगी की भाग दौड़ में उनके  
हाथ खाली रह जाते है जो नहीं चल सकते
वक़्त का हाथ थाम 

Saturday, 3 February 2018

वो आँखें जो देखा करती थी तुम्हे


वो आँखें जो देखा 
करती थी अपलक तुम्हे 
वो आँखें घुटन के दौर से 
गुजर कर भूल चुकी है  
अपलक देखना वो आँखें जो 
सपने सजाया करती थी 
हम दोनों के प्रेम के  
वो आँखें अब बहाया 
करती है उन सपनो 
को अश्को के सहारे 
वो आँखें जो आतुर थी 
दुनिया को छोड़ तुम्हारे 
साथ अपनी दुनिया 
बसाने को वो आँखें 
आज वीरान सी है
वो आँखें जो तुम्हारी 
आँखों से होकर समायी थी 
तुम्हारी रूह में वही आँखें आज 
बेसहारा हो दर दर ढूंढ रही है 
तेरी उस रूह को जिसने वादा
किया था उसे सदा खुद में 
बसाये रखने का 
वो आँखें जो देखा 
करती थी अपलक तुम्हे 
वो आँखें घुटन के दौर से 
गुजर कर भूल चुकी है  
अपलक देखना तुम्हे

Friday, 2 February 2018

कभी तो मिलो तुम मुझे

कभी तो मिलो तुम मुझे
बरसती बारिश की बूंदो में    
तब मैं समां जाऊंगा तुम्हारे 
लरजते इस सीने में बनकर 
बरसती बारिश की बूंदो सा 
कभी तो मिलो तुम मुझे
जब चले धीरे धीरे वो पुरवाइयाँ 
उतर जाऊँगा मैं तेरे कानो में 
बनकर पपीहे की पीहू पीहू  
कभी तो चलो तुम इस डगर 
पर मेरे पैरो पर अपने पैरो रखकर
ताकि दिखा सकू तुम्हे मैं तुम्हे 
डगर अपनी मंज़िलों की   
कभी तो मिलो तुम मुझे
इन काली स्याह रातों में 
ताकि मैं महसूस सकू 
मायने इन स्याह रातों के 
कभी तो मिलो मुझे सुबह के  पहर  
ताकि देख सकु सुबह के सूरज 
की तीक्ष्ण किरणों को 
हां कभी तो मिलो तुम मुझे

Thursday, 1 February 2018

तुम्हारी व्यस्तता



ये तुम्हारे प्रेम  की ही जादूगरी है, 
जिसमे खोया हुआ सा हु आज तक मैं  ;
और तुम व्यस्त हो उन "अपनों" की ज़िन्दगी 
के जंजालों में और, तुम्हारी ये व्यस्तता मुझे अब 
विचलित करने लगी है ;मेरे अंतर्मन को झकझोरने
लगी है पर, तुम्ही तो कहती हो अक्सर ऐसी भी क्या 
व्यस्तता जिसमे तुम मुझे ही भूल जाते हो ?
जब मैं तुम्हारे मैसेज या फ़ोन का जवाब नहीं 
दे पता हु जबकि, मेरी व्यस्तता में शामिल है 
हमारे वो सपने जो देखे है तुम्हारी और मेरी 
दोनों की आँखों ने चाहो तो देख सकती हो 
तुम आज भी वो तुम्हारे किये वादे मेरी आँखों में 
जो तुमने किये थे मुझसे की अब आना है मुझे
तुम्हारे पास तुम्हारे लिए और साकार करना 
चाहती हो  वो सारे सपने पर जब आज भी 
उसी तरह तुम्हे देखता हु "अपनों" की ज़िन्दगी 
के जंजालों में व्यस्त तो तुम्हारी व्यस्तता मुझे  
विचलित करने लगती है कंही ऐसा तो नहीं वो
सपने जो देखे थे हमदोनो की आँखों ने वो 
सिर्फ मेरी ही आँखों में दर्ज़ है और तुमने 
बहा दिए हो उन अश्को में जो बहे है तुम्हारे
"अपनों" के लिए बोलो ?

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !