कुछ लोग तो यु ही
पा लेते है दाखिला
ज़िन्दगी की पाठशाला में
जैसे करनी होती है पूरी
एक औपचारिकता
और तो और इनायत
देखो ज़िन्दगी की उनपर
उन्हें मिल जाता है अनमोल
खज़ाना उस ज़िन्दगी का
जो नहीं मिलता उन्हें भी
कई बार जो पढ़ते है
चारों पहर की नमाज़
करते है आठों पहर की पूजा
रखती है सोलह बरसो
तक सोमवार पर इतना
जरूर है की वो जो
पा लेते है दाखिला यु ही
ज़िन्दगी की पाठशाला में
वो रह जाते है अन-उत्तीर्ण
पा लेते है दाखिला
ज़िन्दगी की पाठशाला में
जैसे करनी होती है पूरी
एक औपचारिकता
और तो और इनायत
देखो ज़िन्दगी की उनपर
उन्हें मिल जाता है अनमोल
खज़ाना उस ज़िन्दगी का
जो नहीं मिलता उन्हें भी
कई बार जो पढ़ते है
चारों पहर की नमाज़
करते है आठों पहर की पूजा
रखती है सोलह बरसो
तक सोमवार पर इतना
जरूर है की वो जो
पा लेते है दाखिला यु ही
ज़िन्दगी की पाठशाला में
वो रह जाते है अन-उत्तीर्ण