Sunday, 8 March 2020

हाँ ! स्त्री हूँ मै !


हाँ ! स्त्री हूँ मै !
ईश्वर की उत्कृष्ट कृति हूँ मै
कभी माँ तो कभी पत्नी हूँ मैं 
कभी बहन तो कभी बेटी हूँ मैं 
कभी जन्मती तो कभी जन्माती हूँ मैं ,
कभी हंसी तो कभी ख़ुशी हूँ मैं .
कभी सुबह तो कभी शाम हूँ मैं,
कभी धुप तो कभी छांव हूँ मैं.
कभी नर्म तो कभी गर्म हूँ मैं ,
कभी कोमल तो कभी कठोर हूँ मैं .
कभी कली तो कभी फूल हूँ मैं 
कभी चक्षु तो कभी अश्रु हूँ मैं
कभी ईश की हस्तलिप हूँ मैं
कभी ईश की प्रतिलिपी हूँ मैं  
ईश्वर की उत्कृष्ट कृति हूँ मै
हाँ ! स्त्री हूँ मै !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !