तुम मेरी हो ?
मैं जब जब खुद से
खफा होता हूँ
मैं तब तब तुम से
दूर चला जाता हूँ
पर फिर भी तुम से
दूर रह कहाँ पाता हूँ
पर जब जब तुम मेरा
ये दिल दुखाती हो
मैं तब तब खुद से
खफा हो जाता हूँ
चंद शब्दों में मैं तुम्हे
कैसे समझाऊं कि
क्या क्या है इस दिल
में मेरे तुम्हारे लिए
क्योंकि शब्द तो होते है
पर भाव कहाँ से लाऊँ
मैं तुम्हारे बिना और
मैंने मान लिया जो कुछ है
वप सब सब तेरा ही है
पर तुम मेरी हो फिर
दूर क्यों हो ये तुम
समझाओ मुझे ?
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