Thursday, 12 March 2020

प्यार का पंचांग !


प्यार का पंचांग ! 

सुनो 
तुम से दूर रहकर भी 
तुम्हारे समर्पण को महसूस 
करना सुखद एहसास देता है ;
जैसे 
आषाढ़ की बदली में 
छुपकर भी सूरज गर्माहट 
और रौशनी जरूर देता है ;
पर 
मेरी हो कर भी 
तुम्हारा मुझ से दूर रहना 
मुझे यूँ लगता है !
मानो
जेठ की दोपहरी में 
सर पर तैनात सूरज की 
जला देने वाली तपन ;
क्या 
प्यार के पंचांग में
जेठ आसाढ़ के बाद है ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !