Saturday, 14 March 2020

गोलार्द्ध की मियाद !


गोलार्द्ध की मियाद !

ये लम्बी रातें
और इनमें होती 
वो बेशुमार बातें
और दोनों को तकते 
वो जलते अलाव आज 
तुम्हे बुला रहे है तुम 
चली आओ ना 
कि तुम बिन ये 
सलवटें तड़प रही है
और तकिये के लिहाफ 
सांसें लौटा रहे है 
और इत्र की खुश्बू
मचल रही है उस पर 
वो ऑलिव आयल 
बिफर रहा है तुम 
आकर पोरों में सुलह 
करा दो ना और 
गोलार्द्ध की मियाद 
बता दो ना !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !