ना-उम्मीदों के पल !
ना-उम्मीदों के उन पलों
में भी यूँ लगता है मानो
मेरे दिल की धड़कन बन
मुझमें समाये हो तुम
उम्मीदों के उन पलों में
भी यूँ लगता है मानो मेरी
सांसों की सरगम बन मुझमें
ही कहीं गुनगुना रहे हो तुम
गर अँधेरा ही लिखा है मेरे
नसीब में तो यक़ीनन मेरी
उम्मीदों के चिराग नज़र
आते हो मुझे तुम
इसलिए आज के बाद कभी
मत पूछना तुम मुझे कि क्यों
करती हूँ मैं इतना प्यार तुम से !
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