Friday, 6 March 2020

प्यार का बंधन !


प्यार का बंधन !

मुझे नहीं चाहिए वकृत 
मानसिकता वाली आज़ादी 
मुझे आदत उस सुख की है
मुझे उस सुरक्षा की जरुरत है 
जो तेरे अपनेपन और तेरे 
प्यार के बंधन में मिलती है 
जो मुझे और किसी की नज़र 
में ऊँचा स्थान भले ही ना 
दिलाये पर तेरे दिल में वो  
स्थायित्व सदा दिलाता है  
मुझे बिलकुल जरुरत नहीं है 
उस आभाषी आज़ादी की जो 
मुझे स्वच्छंदता में डुबो दे  
तुम्हारे प्यार के अटूट और  
अकाट्य बंधन में मैं आकंठ 
डूबी रहना चाहती हूँ !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !