Monday 2 March 2020

उर्वरक रज्ज !


उर्वरक रज्ज !

हर एक बीज को 
जरुरत होती है 
खुद को उर्वरक 
रज्ज में मिलाने की   
गर उसे अपना 
अस्तित्व पाना है 
तो उसे मिलना पड़ता है
उस रज्ज में तभी तो 
वो पायेगा अपना अस्तित्व
तब ही तो वो बन पायेगा 
एक विशाल वृक्ष 
एक बीज ही तो है 
जिसे जरुरत होती है 
उर्वरक रज्ज की 
जिस में वो गला सके 
मिला सके खुद को  
तब ही तो वो पा सकेगा 
अपना अस्तित्व !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !