Friday, 20 March 2020

तुम्हारा कहा !


तुम्हारा कहा !

तुम ने कहा और मैंने मान लिया 
कभी पलट कर नहीं पूछा कि क्यों 
कभी कारण भी नहीं जानना चाहा
लगा कि तुमने कहा तो सही ही होगा 
तुम कब गलत होती हो मेरी नज़र में
तुम्हारा कहा इसलिए नहीं माना कि
मैंने भी शायद वही चाहा था बल्कि 
इसलिए माना ताकि मेरे मानने से 
मैं तुम्हे प्रसन्नचित देख सकता हूँ 
एक बार सोचना कि जैसे मैंने माना है  
तुम्हारा हर एक कहा अब तक सदा 
क्या तुम भी कभी मेरा कहा बिना 
किसी क्यों के केवल मेरी ख़ुशी के 
लिए मानना सिख पाओगी !  
    

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !