मैं इंसान हूँ !
मुझे यूँ कोई फरिश्ता
ना समझ तू ;
मैं भी बस एक
इंसान ही हूँ ;
मुझे बस एक इंसान
ही रहने दे तू ;
यूँ फ़रिश्ते के नाम पर
अपने ज़ज़्बात और एहसास
खोना गवारा नहीं मुझे
ये याद रख तूं ;
मुझ में ये दर्द ये पीड़ा
और ये आक्रोश यूँ ही
रहने दे तू ;
मुझे यूँ कोई फरिश्ता
ना समझ तू ;
मुझे बस एक इंसान
ही रहने दे तू !
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