Wednesday 11 March 2020

मैं इंसान हूँ !


मैं इंसान हूँ ! 

मुझे यूँ कोई फरिश्ता 
ना समझ तू ;
मैं भी बस एक 
इंसान ही हूँ ;
मुझे बस एक इंसान 
ही रहने दे तू ;
यूँ फ़रिश्ते के नाम पर 
अपने ज़ज़्बात और एहसास 
खोना गवारा नहीं मुझे  
ये याद रख तूं ;
मुझ में ये दर्द ये पीड़ा 
और ये आक्रोश यूँ ही 
रहने दे तू ; 
मुझे यूँ कोई फरिश्ता 
ना समझ तू ;
मुझे बस एक इंसान 
ही रहने दे तू !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !