Friday, 9 June 2017

मैंने तुम्हारा नाम लिखा


मैंने नहीं लिखा तुम्हारा 
नाम किसी ऐसी जगह 
जो धुंधला जाते हो 
मैंने तुम्हारा नाम ,
सागर किनारे लिखा  
सागर के किनारे की 
रेत पर लिखे नाम 
कभी नहीं मिटते ...
वो नाम लहरों के साथ
सागर में ही  मिल
जाते है ...
हर लहर के साथ 
बहते रहते है
ना घुलते है
ना गलते है 
इसीलिए सागर का 
पानी भी खारा होता है 
वो नाम आंसुओं से 
जो लिखे होते है ...

No comments:

स्पर्शों

तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...