Thursday, 8 June 2017

तुम्हे तुम्हारे सपने


नरम हृदय में 
अनजाने में जो 
घात लगने से घाव
हुए है उन्हें मैं अब 
भरना चाहता हु 
किसी भी मूल्य पर 
लौटना चाहता हु 
तुम्हे तुम्हारे सपने 
जिनपर कभी प्राकृतिक
और अप्राकृतिक 
हादसों का साया भी 
ना पड़ सके अब
तुम्हारे इरादों को इतना 
फौलादी कर देना चाहता हु
की वो इरादे चट्टानों 
का भी सीना फाड़ 
बंद हुए सभी रस्ते 
खोल सकने में सक्षम
हो सके 

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