तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में
मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है,
ये उद्भूत भावधाराएँ अब
तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है।
~डाॅ सियाराम 'प्रखर'
Tuesday, 11 November 2025
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स्पर्शों
तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...
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भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी ___________________ बदल सकता है,प्रेम का रंग ; बदल सकता है ,मन का स्वभाव ; बदल सकती है ,जीवन की दिशा ; ...
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माँ तुझे सलाम ! •••••••••••••••••• माँ तू मिटटी है, तुझ में मिलकर तुझे सलाम किया है; ख़ुशबू बन कर तेरे ही दिल में सि...
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मेरे चाँद हो तुम ! सुनो क्यूँ कहती हूँ मैं तुम्हे अपना चाँद जब तुम होते हो साथ मेरे तब रात जैसे पूरनमासी की...
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