ये सच है
कि प्रेम पहले
ह्रदय को छूता है
मगर ये भी उतना
ही सच है कि प्रगाढ़
वो देह को पाकर होता है !
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तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...
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