Friday, 9 June 2017

तुम ख्वाब बनकर


हर रात ढूंढता हु 
मैं हर जगह तुम्हे 
कभी तारों में तो कभी
चाँद में ...
तुम्हारा ही अक्स नज़र
आता है मुझे हर जगह....
निहारता रहता हु तुम्हें ,
जब तक मेरी आँखों में 
तुम ख्वाब  बन कर
ना समा जाती हो  ....

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