Saturday, 24 June 2017

ख़्वाबों के समंदर

ख़्वाबों के समंदर में 
एक टुकड़ा उम्मीदों का
जब फेंकता हूँ शिद्दत से,
कुछ बूँदें आस की 
छलक ही आती हैं 
मेरे चेहरे पर भी...
तुम.. 
उन बूंदों की ठंडक हो,
ताज़गी भर्ती हो 
उन रगों में हर पल,
हर रोज़ नया करती 
हो मेरा जीवन..
हर रोज़ मुझमे 
सपने नए भरती हो।

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