मैंने तुम्हे प्रेम किया था
तुम्हे बिना पूरी तरह समझे
बिना किसी अभिमान के किन्यु की
तुम्हे देख कर ही जाना था मैंने की
प्रेम किया नहीं जाता प्रेम हो जाता है
तुम्हे प्रेम कर के ही तो जाना था
मैंने फर्क मैं और तुम का बिना किसी
भी जटिलता के बिना किसी समझाईश के
मैंने तुम्हे प्रेम किया था जैसे आत्मा करती है
उस तन को जिसमे वो आत्मसात रहती है पर
अब ऐसा लगता है जैसे प्रेम करने से पहले मुझे
तुम्हे अच्छी तरह जानना चाहिए था किन्यु की
एक तरफ़ा प्रेम का अंत बहुत कष्टदायी होता है
तुम्हे बिना पूरी तरह समझे
बिना किसी अभिमान के किन्यु की
तुम्हे देख कर ही जाना था मैंने की
प्रेम किया नहीं जाता प्रेम हो जाता है
तुम्हे प्रेम कर के ही तो जाना था
मैंने फर्क मैं और तुम का बिना किसी
भी जटिलता के बिना किसी समझाईश के
मैंने तुम्हे प्रेम किया था जैसे आत्मा करती है
उस तन को जिसमे वो आत्मसात रहती है पर
अब ऐसा लगता है जैसे प्रेम करने से पहले मुझे
तुम्हे अच्छी तरह जानना चाहिए था किन्यु की
एक तरफ़ा प्रेम का अंत बहुत कष्टदायी होता है
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