उसने शायद कल्पना
की होगी मेरे प्रेम की
और मान लिया होगा
उसको एक अंगूठी पर
मेरा प्रेम तो था एकदम
निर्भीक और हठी जिमे
ना तो किसी का डर था
ना की सुनता था प्रेम के
के लिए दूसरे के द्वारा
कहे गए कोई भी सब्द
वो तो एक आवरण सा था
जो छाया रहता था हर वक़्त
उसके चारो ओर पर उसने
शायद मेरे प्रेम को समझा
एक अंगूठी नहीं समझी वो
की मेरा प्रेम निर्भीक था
जो बहा ले जाएगा मुझे
मेरे अवसान की ओर
की होगी मेरे प्रेम की
और मान लिया होगा
उसको एक अंगूठी पर
मेरा प्रेम तो था एकदम
निर्भीक और हठी जिमे
ना तो किसी का डर था
ना की सुनता था प्रेम के
के लिए दूसरे के द्वारा
कहे गए कोई भी सब्द
वो तो एक आवरण सा था
जो छाया रहता था हर वक़्त
उसके चारो ओर पर उसने
शायद मेरे प्रेम को समझा
एक अंगूठी नहीं समझी वो
की मेरा प्रेम निर्भीक था
जो बहा ले जाएगा मुझे
मेरे अवसान की ओर
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