निस्तब्धता में भी
मैंने सुनी तुम्हारी आवाज़
ख़ुशी से छलकती
कोमल आवाज़ सूनी,
बिलकुल बच्ची जैसी
दूर कंही से आती हुई
जैसे सिर्फ एक
मुझे पुकारती आवाज़
और मैंने अपने दिल पर
रख लिया अपना हाथ
जहाँ खनक रहे थे
खून में लथपथ
वो मेरे सबसे कीमती लम्हे
जिनमे तुम रहती थी
सदा मेरे साथ
तुम्हारी सितारों-सी हँसी
मेरे जेहन में जैसे रच बस गयी थी
इसलिए मैंने परवाह नहीं की कभी
खून में लथपथ मेरे एहसासो की
मैंने सुनी तुम्हारी आवाज़
ख़ुशी से छलकती
कोमल आवाज़ सूनी,
बिलकुल बच्ची जैसी
दूर कंही से आती हुई
जैसे सिर्फ एक
मुझे पुकारती आवाज़
और मैंने अपने दिल पर
रख लिया अपना हाथ
जहाँ खनक रहे थे
खून में लथपथ
वो मेरे सबसे कीमती लम्हे
जिनमे तुम रहती थी
सदा मेरे साथ
तुम्हारी सितारों-सी हँसी
मेरे जेहन में जैसे रच बस गयी थी
इसलिए मैंने परवाह नहीं की कभी
खून में लथपथ मेरे एहसासो की
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