ठीक ही कहा था तुमने
तुम्हारी चाह के बाहर
मेरा कोई जीवन नहीं
तुम मेरी गति हो
तुम्हारी बाहों के घेरे के बाहर
मेरा कोई अर्थ नहीं
मेरे सारे आयाम तुम हो ,
तुम्हारे कोने और तुम्हारे वृत्त,
तुम्हारी वक्र और रेखाएँ.
जिस दिन तुमने प्रवेश किया था
मेरी हथेलिओं की रेखाओं में ,
तुमने अबद्धता में प्रवेश लिया था.
जिस दिन तुम चली जाओगी ,
वो दिन मेरा आख़री दिन होगा
ठीक ही कहा था तुमने
तुम्हारी चाह के बाहर
मेरा कोई जीवन नहीं
तुम्हारी चाह के बाहर
मेरा कोई जीवन नहीं
तुम मेरी गति हो
तुम्हारी बाहों के घेरे के बाहर
मेरा कोई अर्थ नहीं
मेरे सारे आयाम तुम हो ,
तुम्हारे कोने और तुम्हारे वृत्त,
तुम्हारी वक्र और रेखाएँ.
जिस दिन तुमने प्रवेश किया था
मेरी हथेलिओं की रेखाओं में ,
तुमने अबद्धता में प्रवेश लिया था.
जिस दिन तुम चली जाओगी ,
वो दिन मेरा आख़री दिन होगा
ठीक ही कहा था तुमने
तुम्हारी चाह के बाहर
मेरा कोई जीवन नहीं
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