शायद तुमने मुझे
अपने सपनो में
इतना देख लिया की
तुम्हारी बाहें जिनको
मेरी छाती से चिपटने की
आदत सी हो गयी थी
मेरी छाया के आलिंगन से
इसलिए मेरी देह के
आकार को लिपट ना पायी
और शायद जो कई सालो से
बसा था तुझमे उसी को
तुम वास्तव में देख
खुद छाया ना बन जाओ
इसलिए तुमने उसी
छाया के साथ रहना
उचित समझा बजाय
की मेरे प्रत्यक्ष दवरूप के
अपने सपनो में
इतना देख लिया की
तुम्हारी बाहें जिनको
मेरी छाती से चिपटने की
आदत सी हो गयी थी
मेरी छाया के आलिंगन से
इसलिए मेरी देह के
आकार को लिपट ना पायी
और शायद जो कई सालो से
बसा था तुझमे उसी को
तुम वास्तव में देख
खुद छाया ना बन जाओ
इसलिए तुमने उसी
छाया के साथ रहना
उचित समझा बजाय
की मेरे प्रत्यक्ष दवरूप के
No comments:
Post a Comment