Friday, 15 September 2017

मेरे कहे वो सब्द

मेरे कहे वो सब्द
शायद तुमने रख दिए
किसी दराज़ में छुपा कर
जैसे किसी मृत व्यक्ति के
शरीर से उतार कर हम रख देते है 
उसकी पहनी सोने की अंगूठी 
ऐसे ही किसी दराज़ में और 
एक दिन जब तुम अकेले में बैठकर 
खोलोगी उस दराज़ को 
तो काले कपडे में लिपटे मिलेंगे 
तुम्हे मेरे सब्द मैं तुम्हे खुद से कंही 
ज्यादा प्रेम करता हु  
तब तुम्हारे पास मैं नहीं होऊंगा 
तब होंगे सिर्फ और सिर्फ 
मेरे वो सब्द जो 
चीख चीख कर याद 
दिलाएंगे तुम्हे मेरी 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !