मेरे कहे वो सब्द
शायद तुमने रख दिए
किसी दराज़ में छुपा कर
जैसे किसी मृत व्यक्ति के
शरीर से उतार कर हम रख देते है
उसकी पहनी सोने की अंगूठी
ऐसे ही किसी दराज़ में और
एक दिन जब तुम अकेले में बैठकर
खोलोगी उस दराज़ को
तो काले कपडे में लिपटे मिलेंगे
तुम्हे मेरे सब्द मैं तुम्हे खुद से कंही
ज्यादा प्रेम करता हु
तब तुम्हारे पास मैं नहीं होऊंगा
तब होंगे सिर्फ और सिर्फ
मेरे वो सब्द जो
चीख चीख कर याद
दिलाएंगे तुम्हे मेरी
शायद तुमने रख दिए
किसी दराज़ में छुपा कर
जैसे किसी मृत व्यक्ति के
शरीर से उतार कर हम रख देते है
उसकी पहनी सोने की अंगूठी
ऐसे ही किसी दराज़ में और
एक दिन जब तुम अकेले में बैठकर
खोलोगी उस दराज़ को
तो काले कपडे में लिपटे मिलेंगे
तुम्हे मेरे सब्द मैं तुम्हे खुद से कंही
ज्यादा प्रेम करता हु
तब तुम्हारे पास मैं नहीं होऊंगा
तब होंगे सिर्फ और सिर्फ
मेरे वो सब्द जो
चीख चीख कर याद
दिलाएंगे तुम्हे मेरी
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