बिना प्रीतम की रातें
और रातें बिताना
उसके साथ जिसे
तुम प्रेम नहीं करती
ऐसे जैसे तपते माथे
पर चमकते बड़े-बड़े
सितारे और ऊपर उठती
वो तुम्हारी गहरी बाहें
'प्रीतम' तक पहुँचने
की कोशिश करतीं
जो यंहा जाने कबसे
नहीं था और होगा
भी तो कैसे ये उसका
घर नहीं जंहा तुम हो अबतक
और तुम्हे होना चाहिए था वंहा
अब तुम्हारी आँखों से टपकते आंसू
प्रीतम के लिए और वंहा प्रीतम
की आँखों से टपकते आंसू
उसके लिए जिसे उसने अथाह
प्रेम किया था ये सोच कर
की प्रेम के लिए कुछ भी असंभव नहीं
और रातें बिताना
उसके साथ जिसे
तुम प्रेम नहीं करती
ऐसे जैसे तपते माथे
पर चमकते बड़े-बड़े
सितारे और ऊपर उठती
वो तुम्हारी गहरी बाहें
'प्रीतम' तक पहुँचने
की कोशिश करतीं
जो यंहा जाने कबसे
नहीं था और होगा
भी तो कैसे ये उसका
घर नहीं जंहा तुम हो अबतक
और तुम्हे होना चाहिए था वंहा
अब तुम्हारी आँखों से टपकते आंसू
प्रीतम के लिए और वंहा प्रीतम
की आँखों से टपकते आंसू
उसके लिए जिसे उसने अथाह
प्रेम किया था ये सोच कर
की प्रेम के लिए कुछ भी असंभव नहीं
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