Tuesday, 7 August 2018

प्यास का कटोरा



प्यास का कटोरा
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अपने यौवन की 
कुछ बूंदें चुरा  
तुमने उढेल दी
मेरे प्यासे अधरों 
पर और मैंने भी 
उन्हें कुछ पल 
समेटा फिर उतार 
लिया अपने अंतर 
घट में पर ये क्या 
मेरी प्यास का कटोरा 
तो फिर से खाली
हो गया और मैं
एक बार फिर 
अपने हाथ में 
लिए यौवन का
कटोरा तेरे सामने
खड़ा हु एक बार  
फिर से मांगने 
तृप्ति की कुछ बुँदे !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !