मतवाला और ज़िद्दी यौवन
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सुनो काफी नहीं होती सिर्फ
रूह की खूबसूरती इस ज़िद्दी
और मतवाले यौवन को बांधे
रखने एक ही खूंटे से सदा
उसके साथ चाहिए होती है
दैहिक सुंदरता भी जो आएगी
जिस्म में जब तुम आदत
डाल लोगी मेरी बाँहों से
होकर गुजरने की और तब
वो आदत एक रोज तुम्हे
खूबसूरत से भी ज्यादा
सुन्दर बना देगी जिससे
तुम कर लोगी अपने वश
में उस ज़िद्दी और मतवाले
यौवन को तब एक सिर्फ
तुम ही छायी रहोगी सदा
सबसे हसीं और खूबसूरत
बनकर मेरे दिल ओ दिमाग
पर यंहा तक की जब लोगो
की नज़र में हो जाओगी तुम
उम्रदराज समय के साथ तब
भी मेरी नजर में और मेरी
रचनाओं में रहोगी तुम यूं ही
मनभरी सुन्दर यौवना सदा
रूह की तरह मेरे होने तक !
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