पता है ना तुम्हे
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देखो अगले कुछ ही
दिनों में फिर से दिन
छोटे और रातें लम्बी
होने लगेंगी और फिर
यादें तुम्हारी मुझे इन
लम्बी रातों में अकेले
जागने को मज़बूर करेंगी
और फिर पूरी की पूरी रात
गुनगुनाऊँगा मैं तुम पर लिखी
अपनी नयी-नयी प्रेम कवितायेँ
और वो बन जाएँगी मेरे प्रेम गीत
जिन्हे में रातों के सबसे सुनसान
लम्हो में माचिस की तीली की तरह
इस्तेमाल करूँगा अँधेरी रातों में अकेले
जागने के लिए तुम्हे तो पता ही होगा ना
यु लम्बी रातें अकेले जागी नहीं जाती बोलो ?
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