एक भीगा सा मन भी होगा वंहा !
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अच्छा ये बताओ तुमने
नाचते हुए मोर देखे है ?
नहीं ना तो चलो आओ
मैं तुम्हे अपनी आँखों में
दिखाता हु तुम्हारी यादों
में नाचते हुए मोर चलो
आओ आकर पास मेरे
मेरी इन भूरी-भूरी आँखों
के कोलाहल भरे इस जंगल
में झांको और देखो इनमे
उमड़ते हुए दर्द के बादलों को
वो कैसे लालायित रहते है हमेशा
झमाझम बरसने के लिए जैसे ही
ये बरसने शुरू होंगे तुम्हारी यादों के
मोर अपने पंख पसारे नाचने लग जायेंगे
फिर बस वंहा मेरे ख्यालों में होगी तुम और
तुम्हारा ख्याल होगा और होगी चाँद की रात
और एक भीगे मन के साथ अपनी आँखों से
करता हुआ झमाझम बरसात मैं भी होऊंगा वंहा !
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