Saturday, 18 August 2018

प्रेम हो लेता है साथ



प्रेम हो लेता है साथ
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प्रेम खड़ा होता है 
कभी जीवन की 
अकेली व सुनसान 
राहो पर तो कभी 
खड़ा होता है वह  
वक़्त के व्यस्ततम 
पलों के मुहानो पर   
जो साथ हो लेता है 
हर एक साहसी और  
और दुहसासी के जो 
उससे नजर मिलाकर 
सामना करने को 
रहता है तैयार 
 नहीं तो यही 
प्रेम कई बार कसता है 
ताने करता है किलोल  
उन पर जो हवाला देते है 
अपनी मजबूरियों का और  
जो करते है उसको दरकिनार 
किसी अनजान और दकियानूसी 
सोच की कर परवाह !!   

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !