भूल जा एक
स्वप्न जानकर
उसके प्रेम को
भूल जा कोई है
महकाने दुनिया
रंग देने अपने रंग मे
तेरे तन मन को,
उसे अटूट प्यार
किया ना पागल ने
मन क्या तन
भी वार दिया
ये भी ना सेाचा
ये भी ना जाना
कल क्या होगा,
लूट ले जाएगी वो,
तेरा तन - मन
ओर सुख चैन,
सब कुछ,
और तू पागल
यु ही बैठा रहेगा
घुटनो मे मुंह छुपाये
उसे याद करके
इसी पेड के नीचे
तालाब किनारे
उसका इंतजार करता हुआ
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