Thursday, 11 May 2017

सपनो की उम्र नहीं होती








कभी-न-कभी
हम ज़िन्दगी के
उस पन्ने पर पहुंचेंगे
जब तकिये पर अटकी
उन आखिरी झपकियों के सहारे,
हम देख रहे होंगे
अपनी ज़िंदगी के
कुछ आखिरी सपने,
हमारे सपने यहीं रहेंगे,
इसी धरती पर
चाहे हम रहें न रहें....
सपने होते ही है अमर
वो कभी नहीं मरते
इंसानो की तरह उनकी
उम्र नहीं होती 

No comments:

स्पर्शों

तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...