Wednesday, 10 May 2017

खिड़की से झांकता चाँद











मेरे घर की खिड़की से
झांकता हुआ ये चाँद,
और इसे निहारते हुए
हम और तुम,
अपने साथ लिए
कुछ फुरसत के पल,
चलो बांध ले इन पलों को,
जैसे बांध के रखा है
मैंने अपने सपनों को
तेरी खुशियों के साथ
कब से और फिर
एक दिन मिल बैठ कर
खोल कर देखेंगे इन
पलो के एक साथ 

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