Friday, 26 May 2017

एक एक लम्हे को जी लेता हु 

मैं एक कुम्हार 
की तरह ही 
हर रोज गढ़ता हु 
तुम्हारे ख्यालो के
सब्दो को और एक
नयी आकृति देता हु 
वक़्त भले ही तेज़ी से 
बढ़ता जा रहा है आगे 
लेकिन मैं फिर भी अपनी
कलाई पर घडी की तरह 
बांध लेता हु वक़्त को 
भले ही एक अरसा 
गुजर गया हो उन 
हंसी लम्हो को पर
मैं तुम्हारे साथ 
एक एक लम्हे में 
कई जन्म जी लेता हु 

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