Monday, 8 May 2017

बहुत कुछ लिखा है मैंने तुम्हारे लिए











मैंने तुम्हारे लिए 
बहुत कुछ लिखा है,
आगे भी लिखूंगा
लेकिन क्यूँ न कुछ
दिन अपनी खामोशीयों
को कुछ कहने दू ....
आखिर उन लंबे सुहाने
रास्तों पर टहलते हुये
कई बार हमदोनो
की खामोशियों ने
भी बहुत कुछ कहा है
एक दूसरे से....
पर शायद तुमने
कभी उन खामोशियो
की बातें सुनी ही नहीं 

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