Saturday, 13 May 2017

एक उम्मीद








कुछ लम्हे उदास से
कुछ खुशनुमा से
मिले यादो के कोने से
उन्हें बटोरा दिल ने फिर से
एक "इस "कोने से
एक "उस "कोने से
कुछ लिपटे थे शाम के 
धुंधले साए में
और कुछ थे सुबह 
सूरज के आगोश में 
"सुबकते "फिर जब 
भर के मुट्ठी में देखा तो
कुछ साँसे अभी भी 
मुस्करा रहीं थी उन लम्हों में 
एक उम्मीद शायद अब भी 
बाकी थी उनके दिल में !!..... 

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