Monday, 1 May 2017

तुम्हारी मुस्कान







अतीत के पन्ने
पलटते पलटते
बहुत दूर तक
निकल आया था मैं
तस्वीरें अब धुधंली
हो गई थी
वक्त की बारिश ने
शब्दों से जैसे उसकी
चमक छीन ली थी
पर उन धुधंली
तस्वीरों में एक
तस्वीर तुम्हारी भी थी
वही मासुमियत
मोटी मोटी आँखों
में सुबह की खिलती
किरणों की तरह
तुम्हारी मुस्कान
तुम्हारे साथ गुजरा
हुआ हर लम्हा
सबकुछ तो साफ साफ था

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !