Tuesday, 2 May 2017

प्रेमी और पुजारी





तुम कहती थी
प्रेमी और पुजारी
दोनो की एक
साधना है
प्रेमी आस्था
रखता है
अपने प्रिय मे
पुजारी भगवान मे,
पुजारी नही रहता
बिन पूजा किये
बिन दर्शन किये
अपने देवता के
और फिर प्रेमी भी तो
चैन नही पाता
बिन प्रिय को देखे
अब कंहा गए
तुम्हारे सिद्धांत
प्रेम के पुजारी के
साधना के
और भगवान के
या सब दिखावा था

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !