Tuesday, 2 May 2017

जब तन्हा होता हु





एक अरसा बीता
दिल टूटे हुए
लेकिन तेरी याद
रोज रात चली
आती है मुझे
सँभालने
जब भी होता हु
मैं भीड़ में तो ये
तनहा कर देती है
जब तन्हा होता हु
गुजरे लम्हो का मज़मा
लगा देती है
और फिर मुझे उसी
अतल गहराई में
धकेल देती है
जहा अतीत और वर्तमान
के बीच सब धुंधला सा जाता है
मेरे जहन से लगी
तुम्हारी याद
पूरी की पूरी रात
सिसकती रही
इस तरह आती है
तुम्हारी याद मुझे
सँभालने अक्सर ही
रातो को

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !