Tuesday, 18 July 2017

उरमा के गहन रहस्य को

चीर कर बादल का 
किनारा चांदनी 
जब छाने लगे, 
सरसराती हवा मस्ती में 
गाने लगे, 
मुस्कुराती रात, 
सर्दी का कम्बल
लपेटे तेरे सिरहाने
उतर आए, 
तब तुम 
मेरी बाहों में
चुपचाप चली आना , 
और देखना
अपनी आँखों से
खुद बा खुद  
जल उठते अलाव को 
बड़ी गौर से और
समझना इस उरमा के
गहन रहस्य को 

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