अपनी ख्वाहिशों को
शब्दों का लिबास पहना
कर अपनी शर्म-ओ-हया
को अपने मायके भेज
दो तुम !
मैं तुम्हारी ख्वाहिशों
का चाँद हूँ इस से रोज
कुछ न कुछ मांग लिया
करो तुम !
ये सच है कि प्रेम पहले ह्रदय को छूता है मगर ये भी उतना ही सच है कि प्रगाढ़ वो देह को पाकर होता है !
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