Tuesday, 28 December 2021

प्रेम के प्यासे !

 सीढ़ियाँ आसमान की चढ़ के

चाँद के एक एक कोने में
मोहब्बत को तलाशते है

और सूरज के सहरा में
दो बूंद पानी की ख़ातिर
मोहब्बत अपनी एड़ियाँ
रगड़ती है

फिर प्रेम के प्यासे
लोग सिसक के अपना
दम तोड़ देते हैं !

शब्दांकन © एस आर वर्मा

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !