ये सच है
कि प्रेम पहले
ह्रदय को छूता है
मगर ये भी उतना
ही सच है कि प्रगाढ़
वो देह को पाकर होता है !
प्रत्येक रिश्तों को
एक नाम दिया गया
पर छूट गई यादें
जिनका हमसे बहुत
ही आत्मिक रिश्ता
होता है जिसके सहारे
हम अपने अपने
एकाकीपन को जीते है
यादें जो किसी न्योते
का इंतज़ार नहीं करती
बिन बुलाए आकर
हमारा उन पलों में
साथ देती है जिन पलों
में कोई रिश्ता हमारे
साथ खड़ा नहीं होता !
ये सच है कि प्रेम पहले ह्रदय को छूता है मगर ये भी उतना ही सच है कि प्रगाढ़ वो देह को पाकर होता है !