Friday, 31 May 2019

प्रीत सवाल करती है !


कई सवाल मचलते हैं हर जवाब के बा'द ,
तेरे ख्याल से पहले और तेरे ख्याल के बाद ; 

ना जाने क्यूँ ये मेरा दिल धड़कने लगता है ,
तेरे आने से पहले और तेरे जाने के बाद ;

तेरी हर एक चाल से वाक़िफ़ थी ऐ मेरे हमदम , 
तेरे हर एक दाव से पहले हर एक दाव के बाद ; 

ना जाने क्यूँ तेरी यादें जीना मुहाल करती हैं ,
मेरे साँस लेने से पहले साँस लेने के बा'द ;

तेरी क़सम तेरा चेहरा ही रू-ब-रू था मेरे , 
तेरे मिलने से पहले तेरे मिलने के बा'द ;

कहाँ थे एक से हालात मेरे दिल-ओ-जाँ के , 
तेरा मेरे होने से पहले तेरा मेरा होने के बाद ;  

दिल-ए-नादाँ उसे याद कर जो साथ रहे ,
तेरे ज़वाल से पहले तेरे ज़वाल के बा'द ;

एक प्रीत ही मुसलसल सवाल करती है ;
प्रेम पाने से पहले और प्रेम पाने के बा'द !

No comments:

स्पर्शों

तेरे अनुप्राणित स्पर्शों में मेरा समस्त अस्तित्व विलीन-सा है, ये उद्भूत भावधाराएँ अब तेरी अंक-शरण ही अभयी प्रवीण-सा है। ~डाॅ सियाराम 'प...