Saturday, 4 May 2019

ऐ इश्क़ !

ऐ इश्क़ 

ये दिल मेरा एक कोरी किताब है मगर 
इस में चाहतों की कोई कहानी ना लिखना तुम 
क्योंकि चाहतों की हर एक कहानी उदास 
आँखों से बहार झांकती है याद रखना तुम 
ऐ इश्क़ 
इसे तुम उदास चेहरों पर ही लिखना 
मेरी मानो तो तुम दिल की कोरी किताब 
पर ही गुजरे पलों की दास्ताँ लिखना तुम
ऐ इश्क़ 
ये दिल की जो उपजाऊ जमीं है तुम उस पर 
खुशियों के अलग अलग रंग भरना चाहे उसे 
लाल-लाल गुलाब से सजाना तुम 
ऐ इश्क़ 
मोहब्बत का ये हिमालय सा सीना भटकते 
रहने का एक रास्ता है ये याद रखना तुम 
ऐ इश्क़ 
बहुत बुलंदी पर पहुंचने वालों को मंज़िल की 
खोज खबर नहीं रहती याद रखना तुम 
ऐ इश्क़ 
मेरी बात मानो ये दिल मेरा एक कोरी किताब सही 
मगर इस में चाहतों की कोई कहानी ना लिखना तुम !

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