Friday, 29 March 2019

एक सूरज चाँद बन जाता है !

एक सूरज चाँद बन जाता है !

अक्सर ही भर जाती है,
उसकी आवाज़ जब वो मेरे 
दर्द की दास्ताँ, इतनी दूर बैठे 
हुए भी सुन लेती है;

उसकी उस भरी हुई आवाज़, 
में से भी मैं निकल ही लेता हूँ,
कुछ नज़्में और रच देता हूँ;

एक नयी प्रेम कविता जिसे 
सुनते ही वो खुद को रोक नहीं 
पाती है, और बस भागी दौड़ी 
चली आती है पास मेरे;

और उसे अपनी बाँहों में भर 
लेने के लिए, मैं भी खोल देता हूँ,  
अपनी दोनों बाहें;         

वो धुप सी आती है, छांव बनने 
की आस लिए पास मेरे, और मैं 
सूरज सा तपता दिन भर उसके लिए;

पर उस एक पल में उसके लिए,
मैं सूरज से चाँद बन जाता हूँ !

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