Thursday 28 September 2017

खून में लथपथ मेरे एहसास

निस्तब्धता में भी 
मैंने सुनी तुम्हारी आवाज़
ख़ुशी से छलकती 
कोमल आवाज़ सूनी, 
बिलकुल बच्ची जैसी 
दूर कंही से आती हुई 
जैसे सिर्फ एक 
मुझे पुकारती आवाज़ 
और मैंने अपने दिल पर 
रख लिया अपना हाथ 
जहाँ खनक रहे थे 
खून में लथपथ
वो मेरे सबसे कीमती लम्हे
जिनमे तुम रहती थी 
सदा मेरे साथ   
तुम्हारी सितारों-सी हँसी 
मेरे जेहन में जैसे रच बस गयी थी 
इसलिए मैंने परवाह नहीं की कभी 
खून में लथपथ मेरे एहसासो की 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !