Tuesday 5 September 2017

हाथो को लेकर अपने हांथो में

जिसे हम प्रेम 
करते है उसके हाथो 
को लेकर अपने हांथो में
हम अक्सर सोचते है
ये हाथ यु ही रहे 
सदा हाथो में मरते 
दम तक उन्ही हांथो
की उरमा हमे देती है
हर उस वक़्त एक नया
जीवन जब हमे लगता है
नीरस ये जीवन और हम
एक बार फिर से जी उठते है
पर मुझे तुम्हारा हाथ 
से अब तक नहीं मिली वो 
उरमा उस वक़्त भी जब
नहीं होती मेरी और
जीने की ईक्षा 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !