Monday 18 September 2017

तुम्हारे कहे एक-एक शब्द

मेरी सांसो ने 
तुम्हारे कहे 
एक-एक शब्दों 
में ऊष्मा भर दी 
वो सब्द जाने 
कब अमर हो गए
पाकर मेरी सांसो 
की ऊष्मा को 
वो ही तो शब्द थे 
जो मुझे सबसे प्रिय थे 
फिर मैं घिसता रहा 
उन सब्दो को अपनी
हथेली पर जब तक की 
वो मेरी हथेली में 
नयी-नयी रेखा बनकर 
ना चमकने लगे

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !