Thursday 21 September 2017

प्रेम की उम्र

आज के ज़माने में 
प्रेम की भी उम्र तय 
होने लगी है आज 
सिर्फ पुरुष ही नहीं 
बल्कि स्त्रियाँ आगे 
बढ़कर समय तय करती है 
अपने प्रेम से मुक्त होने का 
और पुरुष कांपते हुए
निभा रहे होते है अपना "प्रेम"
और स्त्रियाँ कुछ समय 
सहती है अपने "प्रेम"को
जैसे तीर सहता है अपनी
ही प्रत्यंचा का तनाव
ताकि जब वो छूटे प्रत्यंचा से
तो जा सके बहुत दूर 
ताकि मुक्त होकर 
उड़ सके खुले गगन में
अब बंधन सहा नहीं जाता उनसे 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !