Saturday 3 February 2018

वो आँखें जो देखा करती थी तुम्हे


वो आँखें जो देखा 
करती थी अपलक तुम्हे 
वो आँखें घुटन के दौर से 
गुजर कर भूल चुकी है  
अपलक देखना वो आँखें जो 
सपने सजाया करती थी 
हम दोनों के प्रेम के  
वो आँखें अब बहाया 
करती है उन सपनो 
को अश्को के सहारे 
वो आँखें जो आतुर थी 
दुनिया को छोड़ तुम्हारे 
साथ अपनी दुनिया 
बसाने को वो आँखें 
आज वीरान सी है
वो आँखें जो तुम्हारी 
आँखों से होकर समायी थी 
तुम्हारी रूह में वही आँखें आज 
बेसहारा हो दर दर ढूंढ रही है 
तेरी उस रूह को जिसने वादा
किया था उसे सदा खुद में 
बसाये रखने का 
वो आँखें जो देखा 
करती थी अपलक तुम्हे 
वो आँखें घुटन के दौर से 
गुजर कर भूल चुकी है  
अपलक देखना तुम्हे

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !